Sunday, September 07, 2014

मेरे घर चाँद क्यों नहीं आता?


मेरे घर चाँद क्यों नहीं आता?
क्या वह मुझे नहीं पहचानता?
रोज़ रात चमकता  रहता 
जैसे हो मुझे वह आवाज़ देता 

पर जब काले बादल आते 
उनके पीछे क्यों छिप जाता 
आँख मिचौली खेलते उन तारों से 
क्या मैं  हूँ  कम  टिमटिमाता ?

पूरी समझ उसे खा जाऊंगा...
क्या ऐसा है मुझे समझता?
या फिर मेरे घर की बिल्ली 
की म्याऊँ से है वह डरता?

जब वह छोटा पतला दिखता 
उसकी ध्यान रखूं, मन करता 
और जब पूरा गोल-मटोल हो,
लगता उस पर कन्हैया खेलता 

मुझे भी खेलने क्यों न बुलाता?
ऐसे क्यों है मुझे सताता?
कितना हूँ मैं उसे मनाता 
फिर भी रहता मुझे चिढ़ाता 

मेरे घर चाँद क्यों नहीं आता? 

- BhairaviParag 
(In teamwork with my dear son)





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