Monday, May 16, 2016

सूरज कहीं नहीं जाता


People change, Situations change, Opinions change. But there's something that does not change...ever. Unshakeable, unperturbed, untouched by impermanence. Call it Knowledge, Love, or Divine...If you have ever truly known it, it is yours forever...You never lose THAT!

सूरज कहीं नहीं जाता

घिरें बादल भले, वर्षा भी तो है उसी का उपहार
जानते हम वह रहा चमकता घन के उस पार
धरती की तृषा बुझे जैसे ही 
प्रकाश से फिर नहलाता 
सूरज कहीं नहीं जाता

भले ही मुँह फेर ले धरती उससे रात अँधेरे में
क्षितिज के पार ठहरा मूर्त धैर्य सा हम जब घूमें फेरे में
तम से ज्योति की ओर दृष्टि हो जैसे ही 
नए दिन को फिर फैलाता 
सूरज कहीं नहीं जाता

जो भी है अमूल्य आलोकित जीवन में तुमने पाया 
भले छूट जाए कुछ क्षण कुछ दिन जब हो मन भरमाया 
अगर जाना है उसे मन से, भले ही अब है नकारा
जानो अनन्त समय तक हर पल वो है तुम्हारा 

भीड़भाड़ में हाथ से छूट कभी 
कंकड़ सा ठोकर भी खाता
धूल की परतें हट जाएँ 
रत्न फिर हाथ आ जाता
 
...सूरज कहीं नहीं जाता

- BhairaviParag

Quote of the moment:
"...Once you blossom then you never wither. If you move ten steps ahead, you may go back eight steps but you can never go back all ten steps..." ...(Full text here)
-Sri Sri Ravi Shankar

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